Mrigtrishna (kahani sangreh) मृगतृष्णा (कहानी संग्रह)

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इस लेखकीय के माध्यम से उन समस्त बड़ी पत्रिकाओं, बड़े रचनाकारों का धन्यवाद जिन्होंने अब तक मुझे निरस्त किया साहित्य जगत से । मध्यम और लघु पत्र-पत्रिकाओं का आभार जिन्होंने न केवल प्रकाशित किया बल्कि सराहा व सम्मानित भी किया। 1991 से लेखन यात्रा में यह 56वीं पुस्तक है। देशभर की पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित रचनायें उत्साहवर्धन करती रहीं और अब तक 10,000 कवितायें, 600 कहानियां, 125 लघुकथायें प्रकाशित हो चुकी हैं इसमें 325 सम्मान पत्र भी शामिल हैं। भाग्य खोटा ही रहा सदा । समय पर कुछ भी न मिला। जो था वो भी छीन लिया गया। न नौकरी, न व्यापार, न छत। रोटी, कपड़ा और मकान के लिए संघर्ष करता हुआ लिख रहा हूँ आज भी। हर बार सोचता हूँ, बस, अब नहीं। लेकिन न चाहते हुए भी वर्तमान विसंगतियां इतनी आहत करती हैं कि लिख ही जाता है स्वयं। यही अपनी बात रखने का माध्यम है। बीमारी, कष्ट, पीड़ा, कलह, गरीबी से जूझता हुआ लिख रहा हूँ न जाने कब तक । शायद सांस चलने तक। दोगले खोखले, सड़ी-गली व्यवस्था पर प्रहार करता मेरा लेखन और ये कथा संग्रह आपको पसन्द आयेगा। ऐसी उम्मीद करते हुए अपनी अमूल्य राय, असहमति, आलोचना, प्रशंसा की प्रतीक्षा में ।

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इस लेखकीय के माध्यम से उन समस्त बड़ी पत्रिकाओं, बड़े रचनाकारों का धन्यवाद जिन्होंने अब तक मुझे निरस्त किया साहित्य जगत से । मध्यम और लघु पत्र-पत्रिकाओं का आभार जिन्होंने न केवल प्रकाशित किया बल्कि सराहा व सम्मानित भी किया। 1991 से लेखन यात्रा में यह 56वीं पुस्तक है। देशभर की पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित रचनायें उत्साहवर्धन करती रहीं और अब तक 10,000 कवितायें, 600 कहानियां, 125 लघुकथायें प्रकाशित हो चुकी हैं इसमें 325 सम्मान पत्र भी शामिल हैं। भाग्य खोटा ही रहा सदा । समय पर कुछ भी न मिला। जो था वो भी छीन लिया गया। न नौकरी, न व्यापार, न छत। रोटी, कपड़ा और मकान के लिए संघर्ष करता हुआ लिख रहा हूँ आज भी। हर बार सोचता हूँ, बस, अब नहीं। लेकिन न चाहते हुए भी वर्तमान विसंगतियां इतनी आहत करती हैं कि लिख ही जाता है स्वयं। यही अपनी बात रखने का माध्यम है। बीमारी, कष्ट, पीड़ा, कलह, गरीबी से जूझता हुआ लिख रहा हूँ न जाने कब तक । शायद सांस चलने तक। दोगले खोखले, सड़ी-गली व्यवस्था पर प्रहार करता मेरा लेखन और ये कथा संग्रह आपको पसन्द आयेगा। ऐसी उम्मीद करते हुए अपनी अमूल्य राय, असहमति, आलोचना, प्रशंसा की प्रतीक्षा में ।

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