Ab to Jaag अब तो जाग

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कविता आलौकिक एवं आत्मानुभूति की अभिव्यक्ति होती है, वर्तमान जीवन अनेक तनावों से घिरा है। कविता कहीं न कहीं इन तनाओं से मुक्ति दिलाती है। कविता की अनेक विधाएं एवं रंग हैं। कई बार लेखक यह स्वयं नहीं जान पाता कि मैंने भावों में बह कर कोरे कागज़ पर ऐसे कौन से शब्द उकेर दिए हैं जिसे पाठक पढ़कर अनायास ही कह उठता है वाह! वाह ! क्या बात है। आदरणीय जिलेसिंह जी की भी कविताएं लिखने की अपनी विशिष्ट शैली है जो पाठकों के हृदय पर अपना स्थायी एवं अमिट प्रभाव छोड़ती है। उनका कविता लिखने का सहज, सरल एवं बेलाग लहजा ही उनकी कविताओं को सुंदर एवं मनोहर रूप प्रदान करता है। ऐसा लगता है कि जिलेसिंह जी ने कविताएं लिखी ही नहीं हैं बल्कि उनको जीवन में जीया भी है। सामाजिक ताने बाने एवं विसंगतियों पर प्रहार, देश भक्ति एवं मानवीय मूल्यों को सबलता प्रदान करती हुई कलमकार की कलम कही हंसती, गुदगुदाती और कहीं संदेश छोड़ जाती है जो कि लेखक की ईमानदार रचना को दर्शाता है। लेखक हरियाणा प्रदेश से है, अतः हरियाणवी हास्य एवं शब्दों की छटा भी कविता में समाहित होकर कहीं कहीं नजर आ जाती है। माननीय जिलेसिंह जी मेरे लिए कोई अपरिचित चेहरा नहीं है। मैं उन्हें तब से जानता हूँ जब वह नजफगढ़ में सहायक आयुक्त के पद पर आसीन थे। उन के कार्यकाल की प्रशंसा एवं चर्चा जनता आज भी करती है। वे सेवानिवृत्त भले ही हो गए हों लेकिन अपनी ईमानदारी, सरलता एवं कुशलता के कारण आज भी वे नजफगढ़ के लोगों के दिलों में विराजमान हैं। सच पूछो तो नजफगढ़ में होने वाली साहित्यिक गतिविधियों एवं कवि सम्मेलनों में निरंतर रूचि लेने के कारण ही उन के हृदय में कविता के अंकुर फूटने लगे थे जिनके परिणाम स्वरूप 15 मई, 2012 में “काव्य दपर्ण” के रूप में प्रथम पुस्तक संस्करण पाठकों को देखने को मिला। कवि हृदय जिलेसिंह जी की दूसरी पुस्तक "अब तो जाग" के लिए मैं उन्हें हार्दिक बधाई देता हूँ। अनेक विषयों को छूता हुआ कविताओं का मनोहर गुलदस्ता हमारे लिए न केवल पठनीय अपितु संग्रहणीय भी बनेगा, ऐसा दृढ़ विश्वास है। पुनः ढेर सारी शुभकामनाएं सहित ।

170.00

हिन्दी अनुरागी, काव्या प्रेमी व कवि श्री जिले सिंह की यह दूसरी काव्य कृति है। वैसे तो पुलिस व कविता, अजीब सा लगता है। लेकिन देश में कई ऐसे उदाहरण हैं जहां पुलिस सेवा में बड़े पदों पर आसीन व्यक्तियों ने कविता के क्षेत्र में नाम कमाया एवं उपलब्धियाँ हासिल कीं। श्री जिले सिंह जी का नाम यहाँ विशेष रूप से लेना चाहूँगा। जब वे नजफगढ़ में थे, तब से मैं उनको जानता हूँ। मैं कवि सम्मेलनों में खूब आता-जाता रहा हूँ, मैंने देखा पूरे क्षेत्र में जनता उनसे कितना प्यार करती थी। बेतहाशा सम्मान देती थी। इसकी वजह पुलिस व लोगों के बीच संवाद, आपसी प्रेम व सूझबूझ से झगड़ों का शांतिपूर्ण निपटारा होता था। हृदय के पवित्र, मृदुभाषी, सरलता व सादगी के धनी श्री जिलेसिंह को मैंने कभी गुस्से में नहीं देखा। वे आम लोगों के दिलों में राज करते थे।

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