Aas Prayas (hindi natak) आस प्रयास (हिंदी नाटक)

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((ग्वालियर हलचल सम्पादक प्रदीप मांढरे से 'आस प्रयास' नाटक के लेखक श्री प्रकाश शिंदे की विशेष वार्ता) == आस-प्रयास प्रकाश शिंदे 'अबोध' का पहला प्रकाशित प्रयास है। आमतौर पर नामचीन लेखक ही नाटक लिखने का सफल प्रयास कर पाते हैं।  मैने पढ़ा है। इसमें साहित्य, अध्यात्म और जीवन मूल्यों की झलक दिखाई पड़ती है। किताब में धार्मिक विवरण की भरमार है, इन्हें पढ़कर लगता है कि लेखक को हिन्दू धर्मशास्त्रों की कितनी गूढ़ जानकारी है। किताब में कविताओं-रचनाओं का बौध्दिक स्तर भी लेखक को बड़े लेखकों में शामिल करता है। उदाहरण के लिए जिंदगी का भी अजब फसाना है। सुबह आमद दोपहर तपिश शाम आराम रात रवाना है। एक और- देखो कभी मां की गोद में किसी नादान को खुश बेखबर, समझना खुश हूं मैं अपनी कामयाबी के शिखर पर । मैने प्रकाश शिंदे से पूछा आस-प्रयास यानी ? उन्होंने बताया-हर व्यक्ति की आकांक्षा होती है, सपने होते हैं यानी आस और उसे पाने के लिए वह अपने हिसाब से प्रयास करता है।)

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((ग्वालियर हलचल सम्पादक प्रदीप मांढरे से ‘आस प्रयास’ नाटक के लेखक श्री प्रकाश शिंदे की विशेष वार्ता) == आस-प्रयास प्रकाश शिंदे ‘अबोध’ का पहला प्रकाशित प्रयास है। आमतौर पर नामचीन लेखक ही नाटक लिखने का सफल प्रयास कर पाते हैं।  मैने पढ़ा है। इसमें साहित्य, अध्यात्म और जीवन मूल्यों की झलक दिखाई पड़ती है। किताब में धार्मिक विवरण की भरमार है, इन्हें पढ़कर लगता है कि लेखक को हिन्दू धर्मशास्त्रों की कितनी गूढ़ जानकारी है। किताब में कविताओं-रचनाओं का बौध्दिक स्तर भी लेखक को बड़े लेखकों में शामिल करता है। उदाहरण के लिए जिंदगी का भी अजब फसाना है। सुबह आमद दोपहर तपिश शाम आराम रात रवाना है। एक और- देखो कभी मां की गोद में किसी नादान को खुश बेखबर, समझना खुश हूं मैं अपनी कामयाबी के शिखर पर । मैने प्रकाश शिंदे से पूछा आस-प्रयास यानी ? उन्होंने बताया-हर व्यक्ति की आकांक्षा होती है, सपने होते हैं यानी आस और उसे पाने के लिए वह अपने हिसाब से प्रयास करता है।)   जब भी नव प्रयोग हुए तब प्रचलित के आदी जनमानस को विचित्र लगा परन्तु जैसे-जैसे नव प्रयोग की लोक प्रियता बढ़ती गईं वैसे वैसे जनमानस के विचार भी परिवर्तित होते गए। ऐसे ही एक नव प्रयोग का समावेश इस प्रथम लेखकीय प्रयास में किया गया है। इसे इस प्रकार लेखबद्ध करने का प्रयास किया गया है कि इसका वाचन करते समय आप यह अनुभव करें, जैसे ये सब आपके नेत्रों के समक्ष, किसी चलचित्र के समान चल रहा है, घटित हो रहा है। चलचित्र के गीतों के समान ही विभिन्न दृश्यों में कविताएं जोड़ी गई हैं। धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व वाली कविताओं में घटनाओं व पात्रों को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए अधिक धार्मिक उद्धरण जोड़े गए है। इसे पाठकगण चलचित्र और मंच पर मंचित नाटक का समावेश मान सकते हैं। प्रारंभ में कुछ विवरण इसलिए लेखबद्ध किए गए हैं कि जब भी इस नाटक का मंचन हो तब मंचन करने वालों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। संभव है पाठकगणों को इस प्रयास में अनेकानेक त्रुटियाँ मिलें। आशा है हमारे लिए अज्ञात उन त्रुटियों को आदरणीय पाठकगण क्षमा करेंगे। निवेदनीय है कि ये काल्पनिक घटनाओं से प्रेरित स्वलिखित काल्पनिक कथा है।

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